सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

अध्याय-4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र के नोट्स कक्षा 12वीं के लिए

याद रखने वाले कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:


  • शीतयुद्ध की समाप्ति के पश्चात यूरोपीय संघ, आसियान, चीन, जापान आदि सत्ता के वैश्विक केंद्र के रूप में उभरने लगे।


  • अमेरिका ने यूरोप की अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन के लिए बहुत मदद की थी। इसे मार्शल योजना के नाम से भी जाना जाता है।


  • 1948 में मार्शल योजना के तहत यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना की गई। जिसके माध्यम से पश्चिमी यूरोप के देशों को आर्थिक मदद की गई।


  • 1997 में छः देशों- फ्रांस, पश्चिमी जर्मनी, इटली, बेल्जियम, नीदरलैंड और लक्जमबर्ग नहीं रोम संधि के माध्यम से यूरोपिय आर्थिक समुदाय EEC और यूरोपीय एटमी ऊर्जा समुदाय का गठन किया।


  • जून 1979 मैं यूपी या पार्लियामेंट के गठन के बाद यूरोपीय आर्थिक समुदाय ने राजनीतिक स्वरूप लेना शुरू कर दिया था।


  • फरवरी 1992 में मास्टि्स्ट संधि के द्वारा यूरोपीय संघ का गठन हुआ।



अध्याय-4 राजनीतिक विज्ञान के नोट्स कक्षा 12वीं के लिए



यूरोपीय संघ के गठन के उद्देश्य:


  • एक समान विदेश व सुरक्षा नीति।


  • आंतरिक मामलों तथा न्याय से जुड़े मामलों पर सहयोग।


  • एक समान मुद्रा का चलन।


  • वीजा मुक्त आवागमन।


यूरोपीय संघ की विशेषताएं:-


  • यूरोपीय संघ ने आर्थिक सहयोग वाली संस्था से बदलकर राजनीतिक संस्था का रूप ले लिया है।


  •  यूरोपिय संघ एक विशाल राष्ट्र राज्य की तरह कार्य करने लगा है।


  • इसका अपना झंडा, गाना, स्थापना दिवस और अपनी एक मुद्रा है।


  • अन्य देशों से संबंधों के मामले में इसने काफी हद तक साझी निवेश और सुरक्षा नीति बना ली है।


  • यूरोपिय संघ का झंडा 12 सोने की सितारों के घेरे के रूप में वहां के लोगों की पूर्णता, समग्रता, एकता और मेल मिलाप का प्रतीक है।


यूरोपीय संघ को ताकतवर बनाने वाले कारक या विशेषताएं:-


  • 2005 में यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी और इसका सकल घरेलू उत्पादन अमेरिका से भी ज्यादा था।


  • इस की मुद्रा यूरो, अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व के लिए खतरा बन गई है।


  • विश्व व्यापार में इसकी हिस्सेदारी अमेरिका से 3 गुना ज्यादा है।


  • इसकी आर्थिक शक्ति का प्रभाव यूरोपीय, एशिया और अफ्रीका के देशों पर है।


  • यह विश्व व्यापार संगठन के अंदर एक महत्वपूर्ण समूह के रूप में कार्य करता है।


  • इसका एक सदस्य देश ब्रिटेन और फ्रांस सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य हैं। इसके चलते यूरोपीय संघ अमेरिका समेत सभी राष्ट्रों की नीतियों को प्रभावित करता है।


  • यूरोपीय संघ का सदस्य देश फ्रांस परमाणु शक्ति संपन्न है।


  • आधिराष्ट्रीय संगठन के तौर पर यूरोपीय संघ आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक मामलों में दखल देने में सक्षम है।


यूरोपीय संघ की कमजोरियां:-


  • इसके सदस्य देशों की अपनी विदेश और रक्षा नीति है जो कई बार एक-दूसरे के खिलाफ भी होती है‌। जैसे इराक पर हमले के मामले में।


  • यूरोप कि कुछ हिस्सों में यूरो मुद्रा को लागू करने को लेकर नाराजगी है।


  • डेनमार्क और स्वीडन ने मास्टि्स्ट संधि और सांझी यूरोपिय मुद्रा यूरो को मारने का विरोध किया।


  • यूरोपीय संघ कि कई सदस्य देश अमेरिकी गठबंधन में थे।


  • ब्रिटेन यूरोपीय संघ से जून 2016 में एक जनमत संग्रह के द्वारा अलग हो गया है।


दक्षिण - पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन ( आसियान)


  • अगस्त 1967 में इस क्षेत्र के 5 देशों इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड ने बैंकॉक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करके आसियान की स्थापना की।


  • बाद में ब्रूनेई, दारूस्लाम, वियतनाम, लाओस, म्यामार और कंबोडिया की शक्ति को शामिल किया गया और उनकी सदस्य संख्या 10 हो गई।


आसियान के मुख्य उद्देश्य:- 


  • सदस्य देशों के आर्थिक विकास को तेज करना।


  • इसके द्वारा सामाजिक और सांस्कृतिक विकास हासिल करना।


  • कानून के शासन और संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमों का पालन करके क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व को बढ़ावा देना।


आसियान शैली:-


अनौपचारिक, टकराव रहित और सहयोगात्मक मेल मिलाप का नया उदाहरण पेश कर के आशियान ने काफी यश कमाया है। इसे ही आसान शैली कहा जाने लगा।


  • आसियान के प्रमुख स्तंभ


  1.  आसियान सुरक्षा समुदाय

  2. आसियान आर्थिक समुदाय

  3. सामाजिक सांस्कृतिक समुदाय


  • आसियान सुरक्षा समुदाय क्षेत्रीय विवादों को सैनिक टकराव तक ना ले जाने की सहमति पर आधारित है।


  • आसियान आर्थिक समुदाय का उद्देश्य आसियान देशों को साझा बाजार और उत्पादन आधार तैयार करना तथा क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास में मदद करना है।


  • आसियान सामाजिक सांस्कृतिक समुदाय का उद्देश्य है कि आसियान देशों के बीच टकराव की जगह बातचीत और सहयोग को बढ़ावा दिया जाए।


आसियान क्षेत्रीय मंच:-


1994 में आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना की गई। जिसका उद्देश्य देशों की सुरक्षा और विदेश नीतियों में तालमेल बनाना है।


आसियान की उपयोगिता या प्रासंगिकता:-


  • आसियान की मौजूदा आर्थिक शक्ति खासतौर से भारत और चीन जैसी तेजी से विकसित होने वाली एशियाई देशों के साथ व्यापार और निवेश के मामले में प्रदर्शित होती है।


  • आसियान नींद निवेश, श्रम और सेवाओं के मामले में मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने पर भी ध्यान दिया है।


  • अमेरिका तथा चीन ने भी मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने में रूचि दिखाई है।


  • 1991 के बाद भारत ने पूर्व की ओर देखो की नीति अपनाई है।


  • भारत ने आसियान के 2 सदस्य देशों सिंगापुर और थाईलैंड के साथ मुक्त व्यापार का समझौता किया है।


  • भारत आसियान के साथ भी मुक्त व्यापार संधि करने का प्रयास कर रहा है।


  •  आसियान की असली ताकत अपने सदस्य देशों, सहभागी सदस्यों और बाकी के क्षेत्रीय संगठनों के बीच निरंतर संवाद को परामर्श करने की नीति में है।


  • यह एशिया का एकमात्र ऐसा संगठन है जो एशियाई देशों और विश्व शक्तियों को राजनीतिक और सुरक्षा मामलों पर चर्चा के लिए मंच उपलब्ध कराता है।


  • हाल ही मैं भारतीय प्रधानमंत्री ने आसियान देशों की यात्रा की तथा विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर समझौते किए तथा पूर्व की ओर देखो नीति के स्थान पर पूर्वोत्तर कार्य नीति की संकल्पना प्रस्तुत की। इसी के अंतर्गत वर्ष 2018 के गणतंत्र दिवस समारोह में आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्षो को मुख्य अतिथि के रुप में आमंत्रित किया गया था।


माओ के नेतृत्व में चीन का विकास:-


  • 1949 की क्रांति के द्वारा चीन में साम्यवादी शासन की स्थापना हुई। शुरू में यहां साम्यवादी अर्थव्यवस्था को अपनाया गया था। लेकिन इसके कारण चीन को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ा-


  1. चीन ने समाजवादी मॉडल खड़ा करने के लिए विशाल औद्योगिक अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अपने सारे संसाधनों को उद्योग में लगा दिया।

  2. चीन अपने नागरिकों को रोजगार, स्वास्थ्य सुविधा और सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ देने के मामले में विकसित देशों से भी आगे निकल गया लेकिन बढ़ती जनसंख्या विकास में बाधा उत्पन्न कर रही थी।

  3. कृषि परंपरागत तरीकों पर आधारित होने के कारण वहां के उद्योगों की जरूरत को पूरा नहीं कर पा रही थी।


चीन में सुधारों की पहल:-


  1. चीन ने 1972 में अमेरिका से संबंध बनाकर अपने राजनीतिक और आर्थिक एकांतवास को खत्म किया।

  2. 1973 में प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई ने कृषि, उद्योग, सेवा और विज्ञान प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आधुनिकरण के 4 प्रस्ताव रखें।

  3. 1978 में तत्कालीन नेता देंग श्याओपेंग भी चीन में आर्थिक सुधारों और खुले द्वार की नीति का घोषणा किया।

  4. 1982 में खेती का निजीकरण किया गया।

  5. 1998 में उद्योग का निजीकरण किया गया। इसके साथ ही चीन में विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित किए गए।

  6. चीन 2001में विश्व व्यापार संघ में शामिल हो गया इस तरह दूसरे देशों के लिए अपनी अर्थव्यवस्था खोलने की दिशा में चीनी एक कदम और बढ़ाया है।


चीनी सुधारों का नकारात्मक पहलू:-


  1. वहां आर्थिक विकास का लाभ समाज के सभी सदस्यों को प्राप्त नहीं हुआ।

  2. पूंजीवादी तरीकों को अपनाया जाने से बेरोजगारी बढ़ी।

  3. वहां महिलाओं के रोजगार और काम करने के हालात संतोषजनक नहीं है।

  4. गांव व शहर की और तटीय व मुख्य भूमि पर रहने वाले लोगों के बीच आय में अंतर बड़ा।

  5. विकास की गतिविधियों ने पर्यावरण को काफी हानि पहुंचाई है।

  6. चीन मैं प्रशासनिक और सामाजिक जीवन में भ्रष्टाचार बढ़ा है।


चीन के साथ भारत के संबंध:-

(विवाद के क्षेत्र)


  1. 1950 में चीन द्वारा तिब्बत को हड़पने तथा भारत चीन सीमा पर बस्तियां बनाने के फैसले से दोनों देशों के संबंध एकदम बिगड़ गए।

  2. चीन ने 1962 में लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश पर अपने दावे को जबरन स्थापित करने के लिए भारत पर आक्रमण किया।

  3. चीन द्वारा पाकिस्तान को मदद देना।

  4. चीन भारत के परमाणु परीक्षणों का विरोध करता है।

  5. बांग्लादेश तथा म्यामार से चीन के सैनिक संबंध को भारतीय हितों के खिलाफ माना जाता है।

  6. संयुक्त राष्ट्र संघ ने आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद पर प्रतिबंध लगाने वाले प्रस्ताव को पेश किया। चीन द्वारा वीटो पावर का प्रयोग करने से यह प्रस्ताव निरस्त हो गया।

  7. भारत में अजहर मसूद के आतंकवादी घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रस्ताव पेश किया, जिस पर चीन ने वीटो पावर का प्रयोग किया।

  8. चीन की महत्वकांक्षी योजना one belt one road जो कि POK से होती हुई गुजरेगी, उसे भारत को घेरने की रणनीति के तौर पर लिया जा रहा है।

  9. वर्ष 2017 में भूटान के भू-भाग, परंतु भारत के लिए सामूहिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण डोकलाम पर अधिपत्य के दावे को लेकर दोनों देशों के मध्य लंबा विवाद चला जिसमें दोनों देशों के मध्य संबंध तनावपूर्ण हो गए। परंतु इस विवाद के समाधान के लिए भारत के धैर्यपूर्ण प्रयासों और भारत के रूख को वैश्विक स्तर पर सराहा गया।


सहयोग का दौर:-


  1. 1970 के दशक में चीनी नेतृत्व बदलने से अब वैचारिक मुद्दों की जगह व्यवहारिक मुद्दे प्रमुख हो रहे हैं।

  2. 1988 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने चीन की यात्रा की जिसके बाद सीमा विवाद पर यथास्थिति बनाए रखने की पहल की गई।

  3. दोनों देशों की सांस्कृतिक आदान-प्रदान, विज्ञापन और तकनीक के क्षेत्र में परस्पर सहयोग और व्यापार के लिए सीमा पर चार पोस्ट खोलने हेतु समझौते किए गए।

  4. 1999 से द्विपक्षीय व्यापार 30 फ़ीसदी सालाना की दर से बढ़ रहा है।

  5. विदेशों में उर्जा सौदा हासिल करने के मामलों में भी दोनों देश सहयोग द्वारा हल निकालने पर राजी हुए हैं।

  6. वैश्विक धरातल पर भारत और चीन ने विश्व व्यापार संगठन जैसे अन्य अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संगठनों के संबंध में भी जैसी नीतियां अपनाई है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Samta Ansh kise kehte hai - समता अंश किसे कहते हैं

समता अंश:-  समता अंश से अभिप्राय उन अंशों से है जो वार्षिक लाभांश के भुगतान व समापन के समय पूंजी की वापसी में किसी  तरह की पहल का अधिकार नहीं रखते। जो पूंजी अंशो को निर्गमित करके एकत्रित की जाती है उसे अंश पूंजी कहते हैं।  प्रत्येक कंपनी के पार्षद सीमानियम में अंश निर्गमित करके प्राप्त की जाने वाली पूंजी की अधिकतम राशि की जानकारी दी जाती है जिसे हम रजिस्टर्ड पूंजी के नाम से जानते हैं। कंपनी की जो रजिस्टर्ड पूंजी होती है उसको छोटी- छोटी इकाइयों में बांट दिया जाता है। रजिस्टर्ड पूंजी कि यही छोटी इकाइयों को हम अंश कहते हैं। समता अंश को निर्गमित करके एकत्रित की गई पूंजी को समता अंश पूंजी कहते हैं। इसके बिना हम किसी भी कंपनी की कल्पना नहीं कर सकते हैं। कंपनी जिन भी निवेशकों को समता अंश  जारी करती है उन सभी निवेशकों को समता अंशधारी कहते हैं। समता अंशधारी ही किसी भी कंपनी के वास्तविक स्वामी होते हैं। समता अंशो के लाभ:-  समता अंश के माध्यम से विनियोजको एवं कंपनी दोनों को ही लाभ प्राप्त होते हैं जो कि निम्नलिखित हैं:- समता अंश द्वारा विनियोजको  को लाभ:-  प्...

Sahakari Sangathan kya hai - सहकारी संगठन क्या है

" सहकारिता केवल स्वामित्व का एक प्रारूप ही नहीं है बल्कि यह सीमित साधनों वाले व्यक्तियों के उत्थान के लिए एक आंदोलन है।" सहकारी समिति क्या है:-  Sahkari  samiti इसका अभिप्राय लोगों के उस ऐच्छिक संघ से है जो सदस्यों की भलाई के उद्देश्य से इकट्ठे होते हैं। सहकारी संगठन की विशेषताएं:-  Sahkari Sangathan की निम्नलिखित विशेषताएं हैं:-  स्वैच्छिक सदस्यता:-   यह व्यक्तियों का एक स्वैच्छिक संगठन होता है, अर्थात किसी भी व्यक्ति को Sahkari Samiti का सदस्य बनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति जब चाहे इस का सदस्य बन सकता है तथा किसी भी समय सूचना देकर इसकी सदस्यता को छोड़ सकता है। सदस्यता छोड़ने पर नियमानुसार सदस्य की पूंजी वापस कर दी जाती है।  यहां विशेष बात यह है कि कोई भी सदस्य अपने अंश को किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित  नहीं कर सकता है। इनकी सदस्यता प्राप्त करने के लिए धर्म, जाति आदि का कोई बंधन नहीं है अर्थात सभी लोगों को इसकी सदस्यता प्राप्त करने का पूरा अधिकार है। लेकिन कुछ परिस्थितियों में सदस्यता को एक विशेष ग्रुप तक सीमित कर दिया जाता ...

Niyojit Vikas ki Rajniti ke Important Question for class 12th

आज मैं आप सभी लोगों को कक्षा बारहवीं की राजनीतिक विज्ञान के अध्याय 3 के सभी महत्वपूर्ण प्रश्न उपलब्ध करवा रहा हूं मैं आशा करता हूं की अध्याय 3 "नियोजित विकास की राजनीति" से संबंधित सभी महत्वपूर्ण प्रश्न जो मैं आप लोगों को दे रहा हूं वह सभी प्रश्न आप लोगों  के लिए उपयोगी होगे। एक अंक वाले प्रश्न: प्रश्न -1. द्वितीय पंचवर्षीय योजना का खाका किसने तैयार किया? प्रश्न-2.  इकॉनमी ऑफ़ परमानेंस के लेखक कौन थे? प्रश्न-3. भारत में नियोजित विकास का प्रमुख लक्ष्य क्या था? प्रश्न-4.  जोनिंग शब्द से क्या अभिप्राय है ? प्रश्न- 5.  उड़ीसा में किस धातु के विशाल भंडार उपलब्ध थे ? प्रश्न-6.  स्वतंत्रता के समय भारत के नीति निर्माता किस मॉडल से प्रभावित थे ? प्रश्न- 7.  मिल्क मैन ऑफ इंडिया के नाम से किसे जाना जाता है ? प्रश्न -8  इलाकाबंदी की नीति से बिहार पर क्या प्रभाव पड़ा ? प्रश्न-9.  पी. सी महालनोबिस कौन थे ? प्रश्न-10.  हरित क्रांति का जनक किसे माना जाता है ? प्रश्न- 11. नियोजन का एक लाभ लिखिए ? प्रश्न- 12. श्वेत क्रांति से आपका क्या अभिप्राय है? प्रश्न-13....